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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
श्री लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ॥ १० ॥
नमस्ते शुम्भ हन्त्र्यै च, निशुम्भासुर घातिनि।
सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें. पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें.
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श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि